किडनी बायोप्सी टेस्ट : क्या है, कैसे होता है, कीमत और जोखिम

किडनी बायोप्सी (kidney biopsy)

किडनी बायोप्सी एक प्रकार का परीक्षण होता है जिसमें आपकी किडनी के ऊतकों का एक टुकड़ा बाहर निकाला जाता है, और फिर उसे सूक्ष्मदर्शी(“microscope”) के माध्यम पढ़ा जाता है। जिसके बाद आपकी किडनी की समस्या और गंभीरता को पहचानकर विशेषज्ञ आपकी बीमारी के लिए इलाज निश्चित करता है। इसके अलावा इसे किडनी प्रत्यारोपण के बाद यह देखने के लिए भी किया जा सकता है कि किडनी सही काम कर रही है या नहीं। किडनी बायोप्सी को रीनल बायोप्सी(“renal biopsy”) भी कहा जाता है।

क्या होता है किडनी बायोप्सी टेस्ट

जब आपके नेफ्रोलॉजिस्ट(“nephrologist”) को लगता है कि आपकी किडनी में कोई क्षति, या पेशाब में प्रटीन आना है तो वह आपको किडनी बोयाप्सी टेस्ट करवाने के लिए कहेगा। किडनी बायोप्सी के दौरान डॉक्टर क्षतिग्रस्त किडनी की माइक्रोस्कोपीय जांच करने के लिए किडनी के ऊतकों का एक छोटा टुकड़ा निकालता है। इसी निकाले गए टुकड़े से किडनी की समस्या का पता लगाकर विशेषज्ञ आगे की रुपरेखा तय करता है।

क्यों और कब कराया जाता है किडनी बोयाप्सी टेस्ट

किडनी से संबंधित लगभग सभी बीमारियों का रक्त परीक्षण और मूत्र परीक्षण, अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। लेकिन यदि आपकी किडनी में कोई ऐसी समस्या है जिनका, इन परिक्षणों के माध्यम से सटीक पता नहीं लग पाता और कुछ अधिक जानकारी की जरूरत हो तो किडनी बायोप्सी करवाना पड़ता है।

ऐसा कुछ ही बीमारियों के मामलों में होता जैसे हाल ही में आपका किडनी प्रत्यारोपण हुआ हो, जिसके बाद किडनी की कार्यक्षणता देखने और सही से काम न करना को लेकर किडनी बोयाप्सी टेस्ट करवाया जा सकता है। किन स्थितियों में विशेषज्ञ आपको किडनी बोयाप्सी टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है-

  • पेशाब में खून आना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • रक्त जाँच और मूत्र जाँच में कुछ असामान्य आना
  • अल्पकालीन या दीर्घकालीन किडनी रोग के कारण जानने के लिए
  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम या ग्लोमेरुलर रोग का कारण पता करना
  • किडनी में किसी ट्यूमर के बढ़ने की आशंका और उसकी गंभीरता को जाँचने के लिए
  • किडनी में लगातार हो रही किसी क्षति को जाँचना
  • इसके साथ ही किडनी के इलाज की गति और सुधार को देखने के लिए

कैसे होता है किडनी बायोप्सी टेस्ट

किडनी बायोप्सी टेस्ट आम तौर पर अस्पताल में या किसी किडनी क्लीनिक में कराया जाता है। इसके लिए संभव है कि आपको एक रात के लिए अस्पताल में ही रुकना पड़ जाए। किडनी बायोप्सी टेस्ट के लिए आपको स्थानीय बेहोशी (local anesthesia) भी दिया जा सकता है, जिससे प्रक्रिय के दौरान दर्द महसूस न हो।। उसके बाद आपको उल्टा लिटा कर पसलियों की और से पीठ की तरफ से प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। किडनी बोयाप्सी टेस्ट को दो तरीकों से किया जाता है-

  • पर्क्यूटेनियस बायोप्सी (Percutaneous biopsy)- इसमें अल्ट्रासाउंड की मदद से एक सुई को किडनी के अंदर डाला जाता है और ऊतकों का एक टुकड़ा निकल लिया जाता है।
  • खुली बायोप्सी (Open biopsy)-
  • स प्रक्रिया में किडनी के ऊतकों के टुकड़े को सर्जरी के माध्यम से निकाला जाता है। फिर इस टुकड़ें को पैथॉलोजिस्ट के पास भेज दिया जाता है, जो माइक्रोस्कोप से इसकी जाँच करके किडनी की सटीक समस्या का पता लगाता है। लगभग सभी मामलों में पर्क्यूटेनियस बायोप्सी (percutaneous) ही की जाती है। ओपन बायोप्सी बहुत ही कम परिस्थितियों में की जाती है

किडनी बायोप्सी टेस्ट से पहले क्या करनी होती हैं तैयारियाँ

आमतौर पर किडनी बायोप्सी टेस्ट के लिए आपको ज्यादा तैयारियो की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन आपको आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार कुछ निर्देश दिए जा सकते हैं जैसे-

  • बायोप्सी कराने से पहले एक हफ्ते के लिए, आपको एस्पिरिन, इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन, एडविल, नुप्रीन दवाओं को लेने पर रोक लगानी पड़ सकती है।
  • हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स और रक्त समूह (blood groups) की जाँच की जा सकती है।
  • सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज को रक्त परीक्षण होने के बाद, उस माध्यम से रक्तस्राव (bleeding) होने की प्रवृत्ति तो नहीं है।
  • बायोप्सी से पहले, आपको कोई संक्रमण तो नहीं यह जानने के लिए मूत्र या रक्त जाँच करवाने के लिए कहा जा सकता है।
  • इसके अलावा आपको बायोप्सी से 8 घंटे पहले से कुछ न खाने-पीने का निर्देश दिया जा सकता है।
  • साथ अगर आप गर्भवती हैं तो बायोप्सी से पहले आपको ड़ाक्टर को बताना होगा।

कैसे की जाती है किडनी बायोप्सी

विशेषज्ञ आपको उस स्थिति में लेटने के लिए कहेगा जो आपकी किडनी तक बेहतर पहुँच बनाती हो। वह स्थिति पेट के बल सोना है। प्रत्यारोपित किडनी की बायोप्सी के लिए, ज्यादातर लोगों को पीठ के बल लेटने के लिए कहा जाता है।

पर्क्यूटेनियस बायोप्सी में अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन के माध्यम से विशेषज्ञ किडनी की वह जगह निश्चित करता है जहाँ से ऊतकों का टुकड़ा निकालना है। निश्चित करने के बाद उस जगह को साफ करके दर्द कम करने वाली दवाएँ लगाई जाती हैं। इसके बाद विशेषज्ञ उस जगह पर सुई जाने लायक एक चीरा लगाता है, और आपसे सांस रोकने के लिए कहेगा और सुई को किडनी में डालकर किडनी के ऊतकों का टुकड़ा निकाल लेता है। यह प्रक्रिया 2-3 बार किया जाता है ।

बायोप्सी के बाद आपको बिस्तर पे 8-24 घंटे तक आराम करना के लिए कहा जाता है। उसके बाद आप चल फिर सकते हैं। बायोप्सी का रिपोर्ट 3-5 दिनों में मिल जाता है।

किडनी बायोप्सी टेस्ट के क्या जोखिम हो सकते हैं

किडनी बायोप्सी टेस्ट के साथ जोखिम बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बायोप्सी के बाद आप कोई भी असामान्यता महसूस करते हैं तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें। ये असामान्यताएँ हो सकती हैं-

  • दर्द- आमतौर पर गंभीर नहीं होता है और समय के साथ कम हो जाता है।
  • किडनी संक्रमण आम नहीं है लेकिन हो सकता है।
  • रक्तस्राव- सबसे महत्वपूर्ण जटिलता।
  • 10% रक्तस्राव मूत्र के माध्यम से दिखाई देगा, अधिकतर मरीज़ों में अपने आप काम हो जाता है ।
  • 1-2% को खून चढ़ाना पड़ सकता है।
  • 1000 में से 1 व्यक्ति को रक्तस्राव रोकने के लिए एंजियोग्राम (angiogram) की जरूरत पड़ सकती है।
  • बहुत कम ही मामलों में मरीज के जीवन को बचाने के लिए रक्तस्राव वाली किडनी को निकालने की जरूरत पड़ सकती है।

कौन करता है किडनी बायोप्सी टेस्ट की रिपोर्ट

किडनी बायोप्सी की रिपोर्ट पैथॉलोजिस्ट (रोगविज्ञानी) तैयार करता है, जिसमें वह लगभग 3-7 दिन तक ले सकता है। इसके अलावा आपात स्थिति में पैथॉलोजिस्ट (रोगविज्ञानी) बायोप्सी की प्रारंभिक रिपोर्ट को 24 घंटों में तैयार कर सकता है। जिसके बाद आप अपने डॉक्टर से इस रिपोर्ट की समीक्षा और परिणाम जान सकते हैं। किडनी के रोगों के जानकार पैथोलॉजिस्ट को नेफ्रोपैथोलॉजिस्ट (nephropathologist) कहा जाता है

किडनी बायोप्सी टेस्ट की कीमत

भारत की अगर बात करें तो यहाँ अलग-अलग संस्थाओं की अलग-अलग कीमत हो सकती है। भारत के निजि अस्पतालों में किडनी बायोप्सी की कीमत 20,000 से लेकर 40,000 हजार तक है।

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