मधुमेह (डायबिटीज) की एलोपैथिक दवा

डायबिटीज या मधुमेह आज के ज़माने में एक बहुत ही आम बीमारी बन गयी है। और हमारे ख़राब खान-पान की आदतों की वजह से ये और भी ज़ादा लोगों को होने लगी है। पर अब बाज़ार में मधुमेह (डायबिटीज) की कई एलोपैथिक दवा आ गयी हैं।

मधुमेह धीरे-धीरे शरीर के अंगों जैसे लिवर, किडनी इत्यादि पर प्रभाव डालती है और भविष्य में काफी खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकती है। मुझसे अकसर मेरे मरीज़ डायबिटीज के इलाज के बारे में पूछते रहते हैं। 

वैसे तो डायबिटीज में अपने खान-पान का ध्यान रखना और कम से कम चीनी और मीठी चीज़ें  खाना बहुत आवश्यक है, परन्तु इस लेख के माध्यम से मैं आपको डायबिटीज में दिए जाने वाली विभिन्न एलोपैथिक दवाओं के बारे में बताना चाहता हूँ।  

इस लेख को पढ़ने के बाद आप जानेंगे कि मधुमेह में आमतौर पर कोनसी दवाएं दी जाती हैं परन्तु ये हमेशा याद रखें की ये दवाएं आपको अपने डॉक्टर के सलाह से ही लेनी हैं। खुद से ये दवाएं लेने की कोशिश कभी न करें। 

मेटफोर्मिन (Metformin)

मेटफोर्मिन (metformin), डायबिटीज में दी जाने वाली सबसे आम दवाओं में से एक है। उचित आहार और व्यायाम के साथ डॉक्टर आपको यह दवा भी दे सकते हैं। इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे पेट खराब होना इत्यादि, इसलिए आपके डॉक्टर पहले दवा की कम मात्रा देके देखेंगे कि आपका ब्लड शुगर लवेल ठीक रहे रहा है या नहीं। अगर उतनी मात्रा से आपका ब्लड शुगर कण्ट्रोल नहीं हो रहा होगा, तभी मेटफोर्मिन की मात्रा बढ़ाई जाएगी। 

सारे टेस्ट देखने के बाद आपके डॉक्टर ही दवा की मात्रा बदलने का फैसला लेंगे। खुद से दवा की मात्रा में अंतर कभी न करें। 

मेटफोर्मिन एक मुँह से खाने वाली दवा है। आपके ब्लड शुगर के लेवल्स के हिसाब से आपको इसे दिन मे 1 से 3 बार तक लेना हो सकता है। आपके डॉक्टर या तो अकेले या और दवाओं के साथ इसको आपको देंगे। 

इस दवा को नियमित तौर पर लेते रहे और कोशिश करें कि आप ये दवा हर दिन किसी एक ही वक्त पर लें। अगर आप किसी अन्य बीमारी के लिए कोई और दवाएं ले रहे हैं तो उनके बारे में अपने डॉक्टर को ज़रूर बताएं। ऐसा इसलिए क्युकि कुछ दवाएं साथ में रियेक्ट करके आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

घर पर आप अपना ब्लड शुगर नापते रहे और उसका एक रिकॉर्ड भी रख लें ताकि वो रिकॉर्ड आप अपने डॉक्टर को दिखा पाएं। उसके हिसाब से ही आपके डॉक्टर नश्चिन्त करेंगे की दवा ठीक से काम कर रही है या कुछ बदलाव की ज़रूरत है। 

यह दवा ग्लाइकोमेट (Glycomet), मेटोफिक्स (Metofix) आदि नाम से बाज़ार में मिलती है। 

अन्य खाने वाली दवाएँ (Other oral medications)

मेटफोर्मिन के अलावा भी कई ऐसी मुँह से ली जाने वाली दवाएं हैं जो डायबिटीज में दी जाती हैं। यइ दवाएं या तो अकेले या मेटफोर्मिन के साथ दी जाती हैं। ऐसे दवाओं के मेल से उनका असर भी बढ़ जाता है और साइड इफेक्ट्स भी कम हो जाते हैं। 

इस खंड में मैं आपको इन्ही सब दवाओं के बारे में संक्षपित में बताऊंगा। 

सुल्फोनेलयुरीआस (Sulphonylureas)

इस प्रकार की दवाएं भी आमतौर पर डायबिटीज टाइप 2 से पीड़ित लोगों की दी जाती है। यह दवा हमारे शरीर में इन्सुलिन को बढ़ाकर, ब्लड शुगर लेवल को कम करने का काम करती हैं। 

इसके भी 2 वर्ग हैं – फर्स्ट जनरेशन (first generation) और सेकंड जनरेशन (second generation) 

आज कल हम सेकंड जनरेशन दवाओं जैसे गलिपिज़ाइड (Glipizide), ग्लीमीपेराइड (Glimiperide) का प्रयोग ज़ादा करते हैं। 

ये दवाएं बाजार में ग्लुकोट्रोल (Glucotrol), ऐमारैल (Amaryl) आदि के नाम से भी मिलती हैं। 

इनका सबसे आम साइड इफ़ेक्ट हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) या ब्लड शुगर लेवल कम हो जाना है। इसलिए इसे अपने डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी न लें। 

थिओजोलीदीनेदिओन्स (Thiozolidinediones)

ये दवाएं ग्लिट्ज़ोन्स (Glitazones) के नाम से भी जानी जाती हैं। ये हमारे शरीर में इन्सुलिन को अच्छे से काम करने में मदद करती हैं जिससे ब्लड शुगर नार्मल रहता है। ये दवाएं अकसर तब दी जाती हैं जब मेटफोर्मिन या और दवाओं से शुगर कम नहीं हो रहा हो या उनसे कोई साइड इफेक्ट्स आ रहे हो। 

पायोग्लीटाजोन (Pioglitzone) इस समूह का एक उदाहरण है जो बाज़ार में ग्लीज़ोन (Glizone) के नाम से मिलती है। 

अल्फा-ग्लूकोसिडेस इन्हिबिटर्स (Alpha-glucosidase inhibitors) 

यह दवाएं हमारे शरीर में, खाना खाने के बाद ब्लड शुगर को एक दम से बढ़ने से रोकती हैं। ये दवाएं भी आपको किसी और दवा जैसे मेटफोर्मिन के साथ दी जाती हैं। इन दवाओं से कुछ आम साइड इफेक्ट जैसे पेट ख़राब होना अदि हो सकते हैं। 

अगर आप किसी और बीमारी से जूंझ रहे हैं तो अपने डॉक्टर को उसके बारे में बातएं क्युकी कुछ बीमारियों में ये दवाएं नहीं दी जा सकती। 

अकार्बोज़ (Acarbose) एक अल्फा-ग्लूकोसिडेस इन्हिबिटर्स का उद्धरण है, जो बाज़ार में रेबोस (Rebose) या ग्लुकोबे (Glucobay) के नाम से मिलता है। 

इन्सुलिन (Insulins)

इन्सुलिन (insulin) डायबिटीज में इस्तेमाल होने वाली बहुत महत्तवपूर्ण दवा है। इन्सुलिन के आने से डायबिटीज को हम बहुत बेहतर तरीके से कण्ट्रोल कर पा रहे हैं। इन्सुलिन हमारे शरीर के सेल्स द्वारा शुगर का इस्तेमाल बढ़ाती है जिससे रक्त में शुगर कम हो जाती है। इससे ब्लड शुगर लेवल नार्मल रहता है। 

इन्सुलिन, इंजेक्शन के रूप में बाजार में मिलती है। इसके भी कई प्रकार होते हैं। नीचे मैंने आपको इन्सुलिन के विभिन्न प्रकारों के बारे में संक्षपित में बताया है। 

इन्सुलिन को, उसके काम शुरू करने के वक़्त और वो कितनी देर तक काम करेगी, के हिसाब से 5 प्रकार में बाँटा गया है।

  1. रैपिड-एक्टिंग इन्सुलिन  (Rapid-acting insulin)
  2. शॉर्ट- एक्टिंग इन्सुलिन  (Short-acting insulin)
  3. इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन  (Intermediate-acting insulin)
  4. मिक्स्ड इन्सुलिन  (Mixed insulin)
  5. लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन  (Long-acting insulin)

पहले 2 प्रकार के इन्सुलिन बहुत जल्दी काम करना शुरू करते हैं परन्तु बहुत कम वक्त के लिए काम करते हैं। लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन का असर लम्बे समय तक चलता है। 

डॉक्टर आम तौर पर मरीज़ को इन दोनों प्रकार के इन्सुलिन का एक मिश्रण देते हैं। एक लम्बा चलने वाला इन्सुलिन, जो पूरे दिन शरीर में काम करते रहेगा और एक कम देर काम करने वाला इन्सुलिन, जो मरीज़ खाना खाने से पहले लेगा ताकि खाना खाने के बाद जो शुगर बढ़ता है वो कण्ट्रोल हो सके। इससे मरीज़ के शरीर में शुगर दिन भर नार्मल स्तर पर ही रहेगा।  

इस तरीके में यह समस्या है कि मरीज़ को दिन में 3 से 4 बार इंजेक्शन लगाना पड़ता है। मिक्स्ड इन्सुलिन में इन दोनों प्रकार के इन्सुलिन पहले से ही होते हैं इसलिए मरीज़ को बार बार इंजेक्शन लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। 

 निष्कर्ष 

अब आप जानते हैं कि डायबिटीज में आम तौर पर कोनसी दवाएं इस्तेमाल होती हैं। पर इस लेख में मैंने सब कुछ बहुत ही संक्षिप में बताया है। इन सब दवाओं को इस्तेमाल करने न करने का फैसला आपके डॉक्टर ही लेंगे। खुद से कभी भी कोई दवा न लें। ऐसा करना आपके लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। 

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