हाई बीपी के लक्षण

हाई बीपी (hypertension) आज के समय में ज्यादातर लोगों द्वारा झेली जा रही बीमारी बनती जा रही है हाई बीपी के लक्षण जानना सुब के लिए ज़रूरी है। यह एक ऐसी समस्या है जिसे कहा जा सकता है कि यह आपको धीरे-धीरे खा रही है, क्योंकि आज साफ हो चुका है कि बीपी जब तक अपने खतरनाक स्तर पर नहीं पहुँच जाता तब तक अपने लक्षण नहीं दिखाता। हाई बीपी के मरीजों में से ज्यादातर लोग यह बात नहीं जानते। मेरा कहना है कि अगर आप हाई बीपी से बचना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिये कि बीपी कैसे चेक करते हैं और समाय-समय पर अपना बीपी चेक करते रहना चाहिए और उसकी रीडिंग्स का रिकॉर्ड रखना चाहिए। ऐसा करने से आपके डॉक्टर को अपके लिए उचित इलाज निकालने में सहूलियत होगी। 

बीपी के 140/90 के स्तर का महत्व

बीपी का सामान्य स्तर 120/80 mmHg माना जाता है, मतलब अगर आपका बीपी इस स्तर पर है तो आप स्वस्थ हैं। इसके उलट 130/85 mmHg से ज्यादा पाया है तो उसे हाई बीपी का पहला चरण यानि (pre-hypertension) माना जाएगा।

इसके बाद आता है 140/90 mmHg का स्तर, जिसमें 140 सिस्टोलिक (systolic) और 90 डिस्टोलिक (diastolic) होता है। अगर आपका बीपी 140/90 mmHg के स्तर से ऊपर है तो जाहिर है कि आपको हीई बीपी (hypertension) है। यह स्तर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस स्तर के ऊपर के बीपी का इलाज सेहत के लिए बहुत जरूरी है। 

हाई बीपी के लक्षण

मेरा अनुभव है कि हाई बीपी की प्रक्रति ही ऐसी होती है यह अपने लक्षण नहीं दिखाता, हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि इसके मरीज का बीपी 200/120 mmHg के स्तर पर आ पहुँचे और उसे पता भी न चले। क्योंकि बीपी के लक्षण  इसकी गंभीरता से मेल नहीं खाते। हाई बीपी के तमाम मामलों को देखते हुए इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं –

  1. सांस लेने में परेशानी
  2. छाती में दर्द
  3. नाक से खून आना
  4. सिर दर्द
  5. आँखों के आगे अंधेरा आना
  6. सिर चकराना 
  7. थकान हो जाना
  8. दिल की धड़कन में असामान्यता आ जाना
  9. घबराहट
  10. पसीना आना
  11. नींद न आना
  12. चेहरा लाल हो जाना
  13. आँखों में लाल थक्के हो जाना
  14. हाई बीपी शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है, बीपी के अनियंत्रित रहने से शरीर के कई अंगों जैसे दिल, किडनी, दिमाग और धमनियाँ सबसे ज्यादा ग्रसित होते हैं। साथ ही लंबे समय तक बीपी अगर नियंत्रित न किया जाए तो उपरोक्त अंगों की विफलता भी हो सकती है।
  15. दौरे पड़ना

बीपी के किस स्तर पर तत्काल इलाज की जरूरत होती है

हाई बीपी अपने आप में एक अस्वस्थता है और बीपी (Blood pressure) कम करने के उपाय और रोकथाम के लिए समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी होती है। अगर आप भी हाई बीपी को सामान्य मानकर जी रहें हैं तो गलती कर रहे हैं।

मेरा कहना है कि ऊपर दिए गए हाई बीपी के सभी लक्षणों में से अगर आप कोई भी लक्षण महसूस करते हैं तो आपको तत्काल मेडिकल सहायता की जरूरत है। इसके अलावा बीपी का स्तर 180/110 mm Hg या उसके ऊपर हो जाए तोतुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है, क्योंकि बीपी का इससे ऊपर का स्तर दिल, किडनी, दिमाग और आँखों को सदा के लिए नुकसान पहुँचा सकता है।  

हाई-बीपी की रोकथाम करने के लिए मरीजों को कुछ गलतिओं से बचना चाहिए

किसी भी बीमारी या समस्या के इलाज से बेहतर होता है उसकी रोकथाम करना, क्योंकि इलाज के बजाय रोकथाम से हमारे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हाई बीपी के मरीज अनजाने में अपनी जीवनशैली में कुछ ऐसी गलतियां कर सकते हैं जो उनके बीपी के स्तर को खतरनाक स्तर तक बढ़ावा दे देती हैं। ऐसे कई काम हैं जिन्हें हम रोजमर्रा के जीवन में करके अपने बीपी को सामान्य स्तर पर रख सकते हैं। क्या हैं वे काम और गलतियां जानें-

  1. सेहत को लेकर जागरुक रहें

मेरा कहना है कि बीपी अपने लक्षणों को लेकर आपके शरीर में तब तक चुप रहता है जब तक आप इसके परीक्षण न कराएं। इसलिए समय-समय पर अपने बीपी की जांच कराते रहें और कुछ असामान्यता आने पर डॉक्टर से सलाह लें और उसका पालन करें।

  1. नमक का सेवन कम करें 

हाई बीपी में नमक का सेवन कम करना चाहिए, ऐसी सावधानियां रखने की सलाह बुजुर्गों से भी सुनने को मिलती थी। क्योंकि नमक (सोडियम) रक्तप्रवाह में पानी को बढ़ा सकता है, जिससे रक्त-चाप (blood pressure) का स्तर बढ़ सकता है। मेरा सुझाव है कि, हाई बीपी वाले लोगों को पूरे दिन में एक चम्मच से कम नमक का सेवन करना चाहिए। अगर संभव हो तो एक दिन में 2/3 चम्मच से कम नमक लेना बाहतर होगा।

  1. खान-पान का ध्यान रखें

बीपी हो या कोई अन्य समस्या हो उसमें खान-पान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। हाई बीपी के लिए डाइट चार्ट को फॉलो करना बहुत ज़रूरी होता है। जिस भी खाद्य पदार्थ उसका लेबल जांच लें और डाइट चार्ट के अनुसार खांए। बेकरी आइटम, फास्ट फूड (पिज्जा / बर्गर), चाट आइटम, पापड़, आचार और कोला और विशेष रूप से ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें नमक की मात्रा ज्यादा हो, उनका सेवन न करें। 

  1. मोटापा घटाएं और वजन सामान्य रखें

अधिक वजन या मोटापा कई बीमारियों का कारण हो सकता है, जिनमें से हाई बीपी भी एक है। अधिक वजन ह्रदय संबंधित बीमारियों को बुलावा देता है। साथ ही बीपी में बढ़ोत्तरी का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।

  1. बीपी के इलाज की दवा लेना न भूलें

मेरा मानना है कि बीपी एक ऐसी समस्या है जिसका हमारे पास इलाज है। कुछ निशिचित दवाओं से हम इसे गंभीर होने से रोक सकते हैं, और लक्षणों को कम कर सकते हैं। इसलिए हाई बीपी के इलाज में चल रहीं दवाओं को समय से लेना न भूलें।

  1. धूम्रपान न करें

हाई बीपी ह्रदय की बीमारी को बुलावा होता है, और धूम्रपान हाई बीपी को बुलावा। शोधों में पता चला है कि हाई बीपी की समस्या धूम्रपान करने वालों को अधिक होती है । इसलिए मेरा कहना है कि संभव हो सके तो जल्द से जल्द धूम्रपान छोड़ दें।

  1. समय-समय पर बीपी चेक करें और नतीजों के रिकॉर्ड्स को संभाल कर रखें

अगर आप भी हाई बीपी की समस्या से जूझ रहें हैं और आपको भी इसके बढ़ने के खतरे का डर है तो आसानी से बाजारों में मौजूद ऑटोमैटिक बीपी मशीन से घर पर ही लगातार बीपी की जाँच करते रहें। 

प्रेगनेंसी में हाई बीपी (हाई ब्लड प्रेशर) के लेवल्स अलग होते हैं और प्रेगनेंसी के दौरान हाई बीपी होना माँ और बच्चे दोनों के लिए बहुत कहानिकारक हो सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान भी समय समय पर बीपी चेक करना बहुत आवश्यक होता है।

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