चिकित्सक शब्दों में ल्यूपस को systemic lupus erythematosus(“SLE”) कहा जाता है, लेकिन आम बोलचाल में इसे ल्यूपस (lupus) ही कहा जाता है। यह बीमारी आम तौर पर प्रसवकालीन में चल रही महिलाओं को प्रभावित करती है। ल्यूपस शरीर के लगभग सभी अंगों को प्रभावित करती है साथ ही किडनी पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। ल्यूपस के लक्षण कारण और इलाज क्या है और किडनी पर पड़ने इसके क्या प्रभाव होते हैं, जानिए इस लेख के माध्यम से-
ल्यूपस (lupus) क्या होता है
ल्यूपस शब्द का उपयोग 14वीं सदी में कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए किया गया। ल्यूपस का शाब्दिक अर्थ है “भेड़िया”। मध्यकालीन में लैटिन ल्यूपस को एक भेड़िए की सदृश माना गया, क्येंकि यह बीमारी जिस भाग पर कब्जा कर लेती है उसे पूरी तरह से नुकसान पहुँचाती है।
ल्यूपस एक दीर्धकालीन ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरार की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को सक्रिय कर देती है। प्रतिरक्षा प्रणाली में आयी इस सक्रियता का बुरा असर शरीर के अन्य अंगों जैसे- ह्रदय, फेफड़े, हड्डियों के जोड़, त्वचा, दिमाग और किडनी पर पड़ता है। इसके साथ ही ल्यूपस शरीर के स्वस्थ ऊतकों को भी नुकसान पहुँचाता है।
रोगियों की कुल संख्या में 80 प्रतिशत वे महिलाएँ होती हैं जिनकी उम्र 15-44 साल तक होती है। ल्यूपस कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो छूने से फैले और न ही यह यौन संबंध स्थापित करने से फैलती है। हालांकि इस बीमारी से ग्रसित गर्भवती महिलाएँ जिस बच्चे को जन्म देती हैं वे ल्यूपस के किसी एक रूप के साथ पैदा हो सकते हैं, जिसे नवजात ल्यूपस (neonatal lupus) कहा जाता है।
ल्यूपस (lupus) का अन्य अंगों पर प्रभाव
ल्यूपस एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज के शरीर की स्वस्थ कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होने लगती हैं, ये क्षतिग्रस्त कोशिकाएँ फिर शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुँचाती है। ल्यूपस से कौन से अंग होते है प्रभावित जानिए-
मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी (brain and spinal cord)-
ल्यूपस से ग्रसित मरीज को याददाश्त संबंधी, दिमाग के अन्य भागों में रक्त का संचरण कम हो जाना जिससे जलन और वैचारिक क्षमता में कमी आना, स्वभाव में बदलाव और मतिभ्रष्ट जैसी समस्याएं आती हैं। यह अधिकतर उन मरीजों के साथ होता है जो कुछ सालों से ल्यूपस से ग्रसित हों।
ह्रदय और फेफड़े (heart and lungs)-
ल्यूपस ह्रदय के वाल्वों को प्रभावित करता है। ह्रदय के आस-पास पानी जमा हो जाता है। ल्यूपस होने से मरीज के हृदय में रक्त का संचरण करने वाली रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो सकती हैं। साथ ही फेफड़ों के अंदर या आसपास सूजन और तरल पदार्थ का बनना ल्यूपस के मरीजों के लिए हानिकारक होता है, इससे सांस लेने में तकलीफ और समय पर इलाज न लिया जाए तो मृत्यु हो सकती है।
कंकाल (हड्डियाँ) (Musculoskeletal system)-
ल्यूपस के मरीज के शरीर में यह बीमारी उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह भड़का सकती है कि वह हड्डियों के जोड़ो को नुकसान पहुँचाए। मरीज में जोड़ो का दर्द और गठिया जैसी समस्या दीर्घकालीन बन सकती है। इसमें हाथ की छोटी हड्डियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
त्वचा और बाल-
ल्यूपस त्वचा और बालों को प्रभावित करता है। इसमें चेहरे की त्वचा पर पर तितली के आकार में लाल चक्ते बनना और बालों का अधिक मात्रा में झड़ना शामिल है।
गर्भावस्था और प्रजनन प्रणाली ( pregnancy and Reproductive system)-
गर्भावस्था के दौरान ल्यूपस जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इसमे गर्भपात का होना आम है। उच्च रक्त-चाप, मां और शिशु दोनों को प्रभावित कर सकता है। कभी-कभी, नवजात शिशु ल्यूपस की कुछ अभिव्यक्तियों के साथ जन्म ले सकता है। इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं महिलाओं की प्रजनन क्षमता को कम कर सकती हैं।
किडनी कार्य-प्रणाली (Renal system)-
हमे अच्छा स्वास्थ्य देने में किडनी का बहुत बड़ा योगदान होता है। यह शरीर में रक्त की शुद्धता, रक्त का दबाव, और र्कत में अन्य खनिजों का संतुलन बनाकर बेकार पदार्थों को पेशाब के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देती है। ल्यूपस के मरीजों में किडनी से जुड़ी समस्याएँ आम होती हैं। इससे किडनी में दीर्घकालीन के लिए सूजन आ जाती है। इसलिए ल्यूपस किडनी विफलता का महत्वपूर्ण कारण हैं।
ल्यूपस के कुछ सामान्य लक्षण हैं
- तेज़ बुखार
- थकान
- शरीर में दर्द
- जोड़ों का दर्द (हाथों के जोड़ जैसे छोटे जोड़)
- सांस लेने में कठिनाई
- चेहरे पर तितली के आकार में दाने या लाल चक्ते और बाल झड़ना
- Sjogren सिंड्रोम, (आँखें और मूँह शुष्क हो जाना)
- सिर दर्द
- भ्रम (confusion) की स्थिति
- याददाश्त में कमी होना
- एनीमिया (खून की कमी होना)
- रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाना
- बार-बार गर्भपात होना
- गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त-चाप
- ह्रदय और फेफड़ों के आस-पास पानी भर जाना, जिससे सांस लेने में कठिनाई होना
- शरीर पर जगह-जगह खून के चक्ते जम जाना
- सिर में माइग्रेन जैसे दर्द होना, व्यवहार में बदलाव आना और कभी-कभी अवसाद में चले जाना।
क्या होता है किडनी पर ल्यूपस का प्रभाव (ल्यूपस नेफ्रैटिस)
ल्यूपस के कारण किडनी पर पड़ने वाले प्रभाव को चिकित्सा में ल्यूपस नेफ्रैटिस (Lupus nephritis) कहा जाता है। यह उन लोगों को होता है जिन्हें ल्यूपस की बीमारी होती है। ल्यूपस नेफ्रैटिस तब होता है जब ल्यूपस की वजह से शरीर में बन रहे ऑटोएंटिबॉडीज़ किडनी की कार्यक्षमता और संरचना को प्रभावित करते हैं। इसके कारण किडनी में सूजन आ सकती साथ ही स्थिति गंभीर होने के साथ-साथ किडनी की विफलता भी हो सकती है।
ल्यूपस के मरीजों में से आधे से अधिक मरीजों में ल्यूपस नेफ्रैटिस होता है।
क्या हैं ल्यूपस नेफ्रैटिस के लक्षण जानिए-
- पेशाब में खून आना
- पेशाब में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण पेशाब झागदार आना
- उच्च रक्त-चाप (High blood pressure)
- हाथ-पैर और पैरों के जोड़ों में सूजन आना
- रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाना
- किडनी विफलता (Kidney failure) हो जाना
ल्यूपस नेफ्रैटिस के लिए जाँच या परीक्षण
किडनी में होने वाले ल्यूपस नेफ्रैटिस को पहचानने के लिए कुछ जाँच एंव परीक्षण निर्धारित किए गए हैं। क्या हैं वे परीक्षण जानिए-
किडनी बायोप्सी (Kidney biopsy)-
किडनी बायोप्सी परीक्षण को करने के लिए डॉक्टर आपकी किडनी का एक बहुत छोटा सा हिस्सा निकाल लेता है, जिसे प्रयोगशाला में जाँचा जाता है कि किडनी में क्या समस्या है और समस्या कितनी गंभीर है।
रक्त जाँच-
ल्यूपस जैसी ऑटोएम्यून बीमारी में रक्त की जाँच की जाती। इस परीक्षण में Complement (C3/C4) की जाँच की जाती है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है।
एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी परीक्षण (antinuclear antibodies test “ANA”)-
ल्यूपस के लिए यह प्रथमिक परीक्षण होता है। इस परीक्षण के माध्यम से पता लगता है कि बीमारी अंगों के स्वस्थ ऊतकों को कैसे प्रभावित कर रही है।
ल्यूपस (lupus) का इलाज
ल्यूपस एक दीर्घकालीन और गंभीर बीमारी है, साथ ही इसका इलाज भी सालों तक चलता है। मरीज को इलाज के दौरान धैर्य रखना जरूरी है, क्योंकि इलाज के तौर पर दी जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जिससे रोग को नियंत्रित करने में समय लग सकता है। मरीज को किसी अवैज्ञानिक इलाज का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि वे नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसका इलाज आपका विशेषज्ञ लक्षणों और संकेतों के आधार पर करता है। इलाज के लिए मरीज के लिए जरूरी है कि वह मूल रूप से विशेषज्ञ से ही सलाह ले क्योंकि ल्यूपस एक जटिल बीमारी है जो दो मरीजों में भी समान नहीं होती।
इलाज के तौर पर मरीज को दी जाने वाली दवाइयाँ दर्द और सूजन को कम करने में, प्रतिरक्षा प्रणाली की गतिविधि को निंयत्रित करने में, अंगों की विफलता को रोकने के में, रक्तचाप का संतुलन बनाए रखने में, संक्रमण को रोकने में और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करती है।
ल्यूपस का सटीक इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी मरीज को कैसे प्रभावित कर रही है। इलाज के बिना, लक्षण भड़क सकते हैं जो जीवन के लिए खतरनाक हैं।
ल्यूपस के इलाज में मरीज को विशेषज्ञ ये दवाएँ बता सकता है-
दर्द निवारक (NSAIDs)-
ल्यूपस के साथ शरीर में होने वाले अनेक बदलावों के साथ जो दर्द होता है उसे कम करके मरीज को आराम पहुँचाने के लिए दर्द निवारक दवाएँ दी जा सकती है।
एंटीमाइरियल दवाएं (Antimalarial drugs)-
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी मलेरिया की दवाएँ, जो मरीज को उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके ल्यूपस के लक्षणों में आराम पहुँचाती है।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids)-
प्रेडनिसोन जैसी दवाएँ ल्यूपस के कारण अंगों पर आने वाली सूजन को रोकती है। मिथाइलप्रेडनिसोलोन (मेड्रोल) जैसी दवाएँ दिमाग और किडनी की गंभीर बीमारी को रोकने के लिए दी जा सकती हैं।
इम्यूनोसप्रेसेरिव दवाएँ (Immunosuppressive medications)-
साइक्लोफॉस्फ़ामाइड, रिटुक्सींमैब , आज़तिओप्रिन, मैकफेनोलाइट मॉफेटिल जैसी दवाएं भी विशेषज्ञ द्वारा मरीज को दी जा सकती हैं। ये दवाएं बहुत फायदेमंद हैं, लेकिन इनके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन्हें विशेषज्ञ द्वारा जोखिम और लाभों पर चर्चा करने के बाद ही लिया जाए।
lupas ka tritment kitna times
हर पेशेंट में अलग होता है पर लम्बा चलता है। ठीक से इलाज कराएं।
My son is 6 years old and he is suffering from Minor Sle .Can he recover from SLE.
It’s possible if correct treatment is given.
My kya kru mere tabiyat achank kharab ho gye jiske karan my railway hospital me admit ho gye ghar me to thik tha pr hospital me aate he mere pyro me bhut dard or chote chote dane kyu ke mujhe lupas hai dard ko kam krne ke liye kuch medicine hai ya koyi acha dr.
किडनी स्पेशलिस्ट को दिखाइए। इलाज हो सकता है।
Teen saal se protein out hota h par caratinin normal hai kya kidni kharab ho sakti h
सही इलाज कराना ज़रूरी है क्योंकि बिमारी आगे जाके बढ़ सकती है।